Bhookh भूख
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भूख के आवेग में फंसकर रिजवान जैसे नवयुवक गलत राह चुन लेते हैं, जिससे उन्हें जिंदगी भर पछतावा होता रहता है। रिज़वान ने फौज में जाकर देश सेवा के सपने देखे थे। घर की आर्थिक हालत खराब होने के कारण पढ़ने की ललक मन में बनी हुई थी। इस ललक को पूरा करने के लिए स्कूल के शिक्षक ने मदद की। लेकिन भूख और गरीबी के तांडव, अब्बू के रोज रोज के उलाहनों के कारण वह आतंकवादियों के सुनहले दलदल में फंस जाता है।
एक ऐसा दलदल जिससे बाहर निकलने का केवल एक ही रास्ता होता है मौत।
भूख के चंगुल से छूटकर रिज़वान जैसे अनेकों नवयुवक आतंकवादियों के चंगुल के आसान शिकार होते हैं।
अंत में रिज़वान की आत्मग्लानि और पछतावा भटके हुए नवयुवकों को सचेत करती है कि विपरीत परिस्थितियों में भी गलत मार्ग पर नहीं चलना चाहिए।