Maa ke Aanchal me माँ के आँचल में
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सृष्टि के रचयिता और नियंता परम सत्य एवं शाश्वत ईश्वर के बाद इस धरती पर यदि कोई दूसरा ईश्वर है, तो वह निश्चित रूप से माँ ही है।
कहावत भी है कि ईश्वर प्रत्येक स्थान पर उपस्थित नहीं हो सकता था। अतः उसने माँ का सृजन किया। और माँ ने भी अपनी असीमित एवं निःस्वार्थ ममता, दया, करुणा, धैर्य, विनम्रता इत्यादि सौम्य गुणों के माध्यम से अपनी संतान का पालन-पोषण करते हुए यह सिद्ध कर दिया कि वही अपनी संतान की प्रथम गुरु बनने का अधिकार रखती है। इन्हीं गुणों के आधार पर धरती माता से भी अधिक बड़ा स्थान जन्म देने वाली माता का माना गया है – “माता गुरुतरा भूमेरू।”